सोरायसिस का होम्योपैथिक उपचार | Homeopathic Medicine For Psoriasis In Hindi

मानव जीवन में त्वचा का सर्वाधिक महत्व है जिससे हम एक दूसरे को पहचानते हैं तथा सुंदर और असुंदर होना भी त्वचा पर ही निर्भर करता है। चर्म रोगों के कुप्रभाव से त्वचा विकृत हो जाती है जिससे हमें स्वयं भी आत्म-ग्लानि होने लगती है। सोरायसिस एक ऐसा ही दुष्ट एवं दीर्घकालीन चर्म रोग है। इसे चर्म कैसर कहें तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। एक बार यह रोग हो जाने के बाद शीघ्र साथ नहीं छोड़ता है। शरीर की त्वचा से भूस्सी के धुर्रे निकला करते हैं।

पहली दवा

Ars. Alb : 6-10M एवं उच्च शक्तियां –

  • डॉ. ट्रेवोर स्मिथ के अनुभव के अनुसार आर्सेनिक अत्यंत असाध्य सोरायसिस के लिए है जिसमें त्वचा मोटी हो जाती है तथा खुजली होती है।
  • डॉ. डेवी ने लिखा है कि जब चमड़ी मोटी पड़ जाए जिसमें दाने और मुंहासे भी होते है, आर्स उपयोगी है।
  • डॉ. विंगर ने आर्स को सोरायसिस में लाभकारी बताते हुए कहा है कि इसके प्रयोग से सर्वप्रथम यह प्रभाव होता है कि दाने अधिक लाल हो जाते है और सूजन आ जाती है। ऐसे में दवा रोक दें और अच्छे परिणाम की प्रतीक्षा करें।
  • डॉ. सी. डनहम ने आर्स एल्व 4x शक्ति का प्रयोग सोरायसिस में सबसे अच्छा बताया है। उनका ऐसा अनुभव रहा।

मेरा अनुभव:

कुछ वर्ष पूर्व सोरायसिस का एक जीर्ण रोगी चिकित्सा के लिए आये। वे करीब पंद्रह वर्षों से इलाज कराने के बाद अंत मे एम्स से भी लॉट आये। सम्पूर्ण शरीर मे जलन तथा नोचते नोचते शरीर की खाल के धुर्रे उड़ जाते थे। प्रारम्भ मे चमडा का ताँबा जैसा रंग किन्तु बाद मे मछली के चोइटे की तरह खाल उखड़ता था। रात्रि में भयंकर जलन तथा खुजलाते खुजलाते नींद नही आती थी। दोपहर तथा आधी रात में अधिक रोग वृद्धि देख कर मैंने उन्हें आर्स एल्ब :200 एवं बाद में लक्षणानुसार रात्रि में सीपिया : 30 शक्ति की दवाएं दी। कुछ ही दिनों में आश्चयर्जनक लाभ देख कर लोग दंग रह गए। रोगी 80 प्रतिशत तक लाभ होने की बाते स्वयं कहते थे।

दूसरी दवा

Acid chryso : 3x- 30

डॉ एल्वा बेंजामिन ने लिखा है कि यदि नाखून में सोरायसिस हो – अन्य कोई लक्षण न हो तो नित्य तीन बार एसिड क्राइसो दें। इस रोग में यह बहुत लाभदायक है।

तीसरी दवा

Ars. Bromatum : 3x

  • आर्स ब्रोम सोरा ओर सिफलिस दोष से उत्पन्न सोरायसिस में अत्यधिक लाभकारी रहा है।
  • कुछ विद्वानों ने इसे सोरायसिस की उत्कृष्ट दवा माना है तथा इस रोग मे इस दवा की 3x शक्ति देने की सिफारिश की है।
  • डॉ एम डीपर बोर्न ने Ars bromide : 3x phytolacca : 2x Natrum Sulph : 6x ,Hydrocotyle :3x ,Borax : 3x द्वारा सोरायसिस के अनेकानेक रोगियों का सचित्र अरोग्य विवरण दिया है तथा इस रोग में सोडियम हाइपोसल्फेट से स्नान करने तथा गर्म जल के झरने में स्नान करने पर विशेष रूप से प्रकाश डाला है।

डॉ आर के टंडन तथा बी के बजाज के अनुसार आर्स ब्रोम : क्यू की 10 बूंदे लंबे अरसे तक देनी चाहिए। बीच बीच मे सल्फर :1 एम की एक खुराक प्रत्येक पंद्रह दिनों पर दें। बोरेक्स :30 भी लंबे समय तक देनी चाहिए। अनेकों रोगी ठीक हुए हैं।

चौथी दवा

Ars iodatum : 3x-1M या उच्च शक्तियां

  • सोरायसिस की यह एक विशिष्ठ औषधि है। साथ ही चर्म कैंसर एवं लूपस अर्थात चर्म यक्ष्मा जैसे असाध्य चर्म रोगों की भी आर्स आयोड एक कीमती दवा है।
  • डॉ एस जी मुखर्जी ने लिखा है कि नानाप्रकार के चर्म रोग जिसमे सफेद सूखे छिलके के खाल से उखड़ते हैं। बेहद खुजली जोकि पानी से धोने पर बढ़ती है, उसमे यह दवा बहुत उपयोगी रहती है।
  • डॉ बोरिक के शब्दों में त्वचा सूखी, परतदार, कीलदार, खुजली, त्वचा उखड़ जाए और वहां से रस बहे, त्वचा कच्ची कच्ची रह जाये उसमे आर्स आयोड लाभ देगा। आर्स आयोड की यह विशेषता है कि चमड़े से मछली के छिलके की तरह बड़ी बड़ी या पतली पतली या मोटी मोटी खाल छूट जाती है। रोगी खुजलाते खुजलाते कुछ छिलका फेंक देता है। छिलके निकल जाते ही भीतर घाव निकल पड़ता है।
  • डॉ एम भट्टाचार्य ने अपने चिकित्सा अनुभव में लिखा है कि हमारे एक रिश्तेदार को ऐसा चर्म रोग हुआ था। तरह तरह की दवा का सेवन , इंजेक्शन आदि से कोई फायदा न होते देख हमने आर्स आयोड की 6x शक्ति से शुरू करके एक हज़ार शक्ति की कुछ मात्राओं के प्रयोग से रोग आरोग्य किया था।

पांचवी दवा

Ars Sulph Rubrum : 6x-200

डॉ एन. सी.घोष के शब्दों में सोरायसिस इत्यादि की तरह कई प्रकार के चर्म रोग और बहुत दिनों के पुराने अतिसार में ( जिसके मल में बहुत हो ) इससे विशेष लाभ होता है।

छठी दवा

Radium Bromide : 30

इस दवा के लक्षण में सोरायसिस वाले स्थान पर जलन एवं खुजली अधिक रहती है। रेडियम ब्रोमाइड लिंग की सोरायसिस में अधिक फायदा करती है।

सांतवी दवा

Anacardium : 200

डॉ विश्पला पार्थ सारथी ने अपना चिकित्सीय अनुभव इस प्रकार व्यक्त किया है – अपरस (सोरायसिस) 29 वर्षीय महिला इलाज के लिए आई, देखने मे पतली, क्रोधित , ऊपर से नीचे तक सोरायसिस के पर्तदार घावों से ढकी , मुख्य रूप से पैरों और बाहों पर। छह माह पूर्व विवाह हुआ था। उसकी निराशा कई प्रकार से अभिव्यक्त हुई । उनके अब तक के अनुभव का यह अनूठा केस । उसकी त्वचा का रोग जनवरी, 1995 मे शुरू हुआ। मार्च 1996 में रोग वृद्धि , रोग बाएं से दाहिने पैर, बाहों और टांगो में फैल रहा था । फटने के साथ कठोर त्वचा और खुजलाहट, जलनयुक्त लाल घाव हो जाना और उनकी पर्त छूटती थी। शादी के बाद रोग वृद्धि। स्नान से बदतर । आचार, चॉकलेट, केला के लिए उत्कृष्ट इच्छा, खट्टे भोजन और टमाटर के प्रति अभिरुचि । मासिकधर्म कम मात्रा में । माहवारी के पहले भूख में वृद्धि । दस्त दिन में तीन बार । मैथुन में अरुचि क्योंकि वह अपने शरीर से घृणा करती है। शादी के बाद वह सिंगापुर गयी थी और उसका भाई वहाँ आया तो पुनः झगड़ा हुआ और सभी भावनाए सामने आ गयी । उसकी सोरायसिस और खराब हो गयी। रोगिणी अपनी ननद से घृणा करती है जो बातूनी, शासक प्रकृति की एवम ईर्ष्यालु है। रोगिणी निरंतर तनाव महसूस करती रहती है। वह चाहती है कि उसकी ननद चली जाए ताकि वह शांति से रह सके।

केस के अध्ययन करने और रिपर्टरी से संदर्भ लेने के बाद उन्होंने महसूस किया कि एनाकार्डियम ही उसकी औषधि है जिसे 200 शक्ति में दिया गया । अगले 14 दिनों में पैर की त्वचा उखड़ने से उसने बहुत अच्छा महसूस किया । जनवरी 1997 तक वह बहुत अच्छी हो गयी ।

आठवीं दवा

Bacillinum : 1M

डॉ बर्नेट ने कहा कि दाद उन्ही लोगो को हुआ करता है जिसके वंश में क्षय रोग का इतिहास हो । दमा खांसी एवं स्नोफिल ग्रस्त रोगियों के वंशानुगत इतिहास मिलने पर सोरायसिस में मैं बेसिलिनम देता हूँ।

नौवीं दवा

Berberis Aquifolium Q

डॉ डेवी ने इसे सोरायसिस में काफी विश्वसनीय माना है । इसमें चेहरे पर परतदार पस वाले उद्भेद होते हैं। उनमे उपयोगी है।

दसवीं दवा

Borax : 30 -200

  • यह सोरायसिस की नई स्थिति में लाभदायक है ।
  • डॉ मैक कैल्टे चेव ने इसे सोरायसिस की एक विश्वसनीय औषधि माना है।
  • बोरेक्स से उन्होंने सोरायसिस के बहुत से रोगियों को ठीक किया है।

अगली दवा

Corallium Rub : 3x -200

  • हाथ की हथेली और पैर के तलवे की सोरायसिस में इससे लाभ होता है।
  • डॉ एम भट्टाचार्या के अनुसार चर्म का उद्भेद मूंगे की तरह लाल रहता है। घाव लाल रंग और चिमटा रहता है । घाव छूना सहन नही होता है। यह दवा लिंग के सोरायसिस में अधिक उपयोगी रहा है।
  • डॉ गैरेन्सि महोदय ने लिखा है कि लिंग मुंड के ऊपरी चमड़े के नीचे लाल रंग का चिमटा घाव जिससे लगातार पीला स्त्राव निकलने उसमे यह उपकारी है।

अगली दवा

R.N.A. – 200 -1M

यह भी होम्योपैथिक की नई दवा है। आर. एन. ए. का पूरा नाम Ribonucleic Acid है। डी .एन. ए के पंद्रह दिन आर.एन .ए देने से एक्ज़िमा, सोरायसिस, सफेद दाग , एलर्जी , जुलपित्ती में फायदा होते देखा गया है।

अगली दवा

Hydrocotyle : Q -200

  • डॉ एम भट्टाचार्य महोदय ने लिखा है कि चर्म रोग उद्भेद में, सूखा चमड़ा जिसमे मोटा खाल छूट जाती है, हथेली, तलवा, हाथ – पैर और शरीर मे सोरायसिस नामक चर्म रोग, गोल-गोल दाद और उसके किनारे खाल छूटती है उसमे हाइड्रोकोटायल लाभ करता है।
  • डॉ डियर बोर्न ने कुष्ठ रोग मे इसकी प्रशंसा की है।
  • डॉ डेवी साहब ने हाइड्रोकोटाइल द्वारा एक दुराग्रही सोरायसिस के रोगी को आरोग्य किया था।

डॉ गणेश नारायण चौहान, जयपुर (राजस्थान) ने इस संदर्भ मे अपना चिकित्सीय अनुभव इस प्रकार दिया है: –

(क) हाइड्रोकोटाइयल -6 : धड़, हाथ- पैर, हथेली और तलवों में गोलाकार रूप में, परत का मोटा हो जाना तथा चोंइटे का उतरना, वृत्ताकार दाग साथ ही चोइटेदार किनारे, शुष्क उद्भेद, असह्य खुजली में उपयोगी है।

(ख) हाइड्रोकोटायल और थायराडिनम के लक्षण आपस मे मिलते हैं । ये दोनों सदृश्य औषधियाँ हैं । अतः हाइड्रोकोटायल : 6 दिन मे तीन बार और थायराडिनम : 30 रात को एक बार देने से बहुत से रोगियों को लाभ हुआ है, परन्तु इसकी चिकित्सा के प्रारंभ में सल्फर फिर एक्स-रे का प्रयोग करना चाहिए।

(ग) हाइड्रोकोटायल : 30 नित्य चार बार तथा रेडियम ब्रोमाइड 30 एक बार नित्य कुछ सप्ताह तक लेने से भी लाभ होता है।

अगली दवा

Psorinum : 200

  • सोरायसिस में Psorinum एक प्रमुख औषधि है।
  • Psorinum एक कस्टीच्यूशनल रेमेडी है। सल्फर के बाद सोरीनम देने से धातुगत अवरोध दूर हो जाता है।

अगली दवा

Ranunculus Bulbosus : 3x – 200

यह दवा हथेली के सोरायसिस में लाभदायक है। खुजलाहट, फटना, हथेली में फफोला होना, रंग पीला, उंगलियों की नोंक और हथेली के सोरायसिस में विशेष लाभदायक है। डॉ भट्टाचार्य महोदय के अनुसार हथेली में फफोले के तरह उद्भेद, जाड़े का फोड़ा या शीत के कारण पैर के तलवों में छाले पड़ना आदि में इसका व्यवहार किया जाता है।

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